आरबीआई द्वारा नियम बदलने का बड़ा कारण
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RBI Loan Rules: साल 2018 के बाद से दिखाई देने वाले आंकड़ों के अनुसार, बैंकों ने अपने ग्राहकों से मिनिमम बैलेंस ना रखने, अतिरिक्त एटीएम ट्रांजैक्शन, और एसएमएस सेवाओं के नाम पर 35,587 करोड़ रुपए की पेनल्टी वसूली है। यह शिकायतें लोन ग्राहकों द्वारा लंबे समय से की जा रही थीं, जिनमें वे यकीन दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि बैंकें उनसे पेनल्टी के रूप में अनावश्यक पैसे वसूल रही हैं।
केंद्रीय बैंक ने जारी किए गए एक बयान में बताया है कि अक्सर मामलों में कई रेगुलेटेड एंटिटीज (REs) उधारकर्ताओं के साथ उनकी वित्तीय शर्तों का पालन नहीं करने के मामले में ब्याज दरों के साथ-साथ उनसे दंडात्मक ब्याज दरों (पेनल चार्जेस) की वसूली भी करते हैं। उनका मकसद बैंकों के पास दंडात्मक ब्याज लगाने से बचाना और नियमों का पालन करने की अनुशासन बनाए रखना है।
रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि बैंकों को चाहिए कि वे पेनल इंटरेस्ट को अपने मुख्य आय का स्रोत नहीं बनाएं। इसके साथ ही, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इन सभी मामलों को ध्यान में रखकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं।
RBI Loan Rules: लोन लेने वालों पर होगा असर
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसमें वह बैंकों के लोन आवश्यकताओं के संदर्भ में नए नियम लागू करने के निर्देश दिए हैं। प्रमुख बदलाव में से एक यह है कि अब जब किसी लोन की ईएमआई (Equal Monthly Installment) की पेमेंट में देरी होती है, तो बैंक द्वारा जुर्माने के साथ-साथ पेनल्टी पर लगाने वाले इंटरेस्ट को रोका जाएगा। यह फैसला लेने का प्रमुख कारण है कि आरबीआई ने लोगों के ऋण लेने की प्रक्रिया को सुगम और विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया है।
1 जनवरी 2024 से लागू होने वाले नए नियमों के अनुसार, अगर आपकी ईएमआई (इक्वटेड मॉन्थली इंस्टॉलमेंट) बाउंस हो जाती है, तो आप उस पर फाइन तो लगा सकते हैं, लेकिन उस फाइन पर बैंक ब्याज नहीं लगा सकते हैं। यह फैसला वित्तीय वर्ष 2024 से आवश्यक बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, जैसे कि एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ) के लिए भी लागू होगा। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वे इनकम को बढ़ाने के उपाय के रूप में ‘ब्याज पेनल्टी’ का उपयोग नहीं कर सकेंगे।
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