Happy Diwali 2024 : इस दीपावली क्या करे क्या नहीं करे

Diwali 2024: दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का सबसे प्रिय और शानदार त्योहार है। यह केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह खुशियों, समृद्धि और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।

हर साल, यह त्योहार अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है, जब लोग अपने घरों को दीपों, रंगोली और मिठाइयों से सजाते हैं। 2024 की दिवाली और भी विशेष है, क्योंकि यह नई आशाओं और सपनों को जन्म देती है, जबकि हम पुरानी यादों को संजोते हैं।

इस वर्ष, दिवाली का त्योहार विशेष उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाएगा। त्योहार के अवसर पर परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर दीयों की जगमगाहट, मिठाइयों का स्वाद और पटाखों की गूंज सुनाई देती है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम दिवाली 2024 के अद्भुत पहलुओं, पूजा विधियों, पारंपरिक परिधानों और खुशियों से भरे इस खास दिन को मनाने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा करेंगे। आइए, मिलकर दिवाली की रोशनी में अपने दिलों में उमंग और प्रेम को भरें!

Happy Diwali 2024 इस दीपावली क्या करे क्या नहीं करे

हिन्दू धर्म मे दीपावली के पर्व का महत्व

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हिन्दू धर्म में दीपावली का पर्व अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। यह केवल एक त्यौहार नहीं है, बल्कि इसमें छिपे संदेश और प्रतीकात्मकता जीवन की गहराई को दर्शाते हैं। इसका महत्व निम्नलिखित कारणों से है:

1. अधर्म पर धर्म की विजय

दीपावली अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण का वध कर अयोध्या लौटने पर नगरवासियों ने दीप जलाकर उनकी स्वागत किया। यह सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, जो हिन्दू धर्म की एक प्रमुख धारणा है।

2. अंधकार पर प्रकाश की जीत

दीपावली का मतलब “दीपों की पंक्ति” है। यह प्रकाश के माध्यम से अज्ञानता, अंधकार, और बुराई को दूर करने का प्रतीक है। हिन्दू दर्शन में ज्ञान और प्रकाश का विशेष महत्व है, और दीप जलाना आत्मज्ञान, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में उज्जवल भविष्य की कामना का प्रतीक है।

3. धन, समृद्धि और संपन्नता की देवी लक्ष्मी की पूजा

दीपावली को देवी लक्ष्मी का प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन, समृद्धि और सुख-शांति की देवी हैं। लक्ष्मी पूजन से यह मान्यता है कि घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और परिवार की खुशहाली बनी रहती है।

4. आध्यात्मिक शुद्धिकरण

दीपावली के पहले घरों की सफाई और सजावट का विशेष रिवाज है। यह शारीरिक सफाई के साथ-साथ मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है। यह आत्मा की अशुद्धियों को दूर करने, नए संकल्प लेने और जीवन को पुनर्जीवित करने का समय है।

5. विक्रम संवत की शुरुआत

दीपावली के दिन से विक्रम संवत, जो हिन्दू पंचांग का नया साल है, की शुरुआत होती है। इसे नए सिरे से व्यापार और जीवन की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन व्यापारी वर्ग अपने पुराने बहीखाते बंद कर नए बहीखाते शुरू करते हैं।

6. सामाजिक और सांस्कृतिक एकता

दीपावली एक ऐसा पर्व है जो समाज में सामूहिकता और एकता का संदेश देता है। इस पर्व पर लोग आपस में मिलते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और अपने रिश्तों को मजबूत करते हैं। यह आपसी भाईचारे, सौहार्द और प्रेम का पर्व है।

7. नरकासुर वध और सच्चाई की जीत

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध और 16,000 महिलाओं को मुक्त करने की कथा दीपावली से जुड़ी है। यह कथा बताती है कि भगवान हमेशा धर्म की रक्षा करते हैं और सच्चाई की हमेशा जीत होती है।

8. आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-साक्षात्कार का समय

दीपावली का पर्व आत्मनिरीक्षण और आत्म-साक्षात्कार का समय भी होता है। हिन्दू धर्म में आत्मा की शुद्धता और आत्मज्ञान को परम लक्ष्य माना गया है। यह पर्व व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से मजबूत और उन्नत बनने के लिए प्रेरित करता है।

9. रुण-ऋण मुक्ति और संतुलन का महत्व

दीपावली के समय भगवान यमराज की भी पूजा की जाती है, जिससे जीवन में संतुलन बना रहे और व्यक्ति ऋण-मुक्त हो सके। यम पूजा से यह मान्यता है कि इस पूजा से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

इस प्रकार, दीपावली हिन्दू धर्म में न केवल एक त्यौहार है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू—धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक—से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह पर्व मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि और नवजीवन का प्रतीक है।

दीपावली क्यों मनाई जाती है? (Diwali 2024)

दीपावली, जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख त्योहार है और इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दीपावली मनाने के मुख्य कारणों में विभिन्न पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  1. भगवान राम की अयोध्या वापसी: सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने 14 वर्षों के वनवास और राक्षस रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद जब अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। इस दिन को अयोध्यावासी बड़े धूमधाम से मनाते हैं, जिससे दीपावली का पर्व आरंभ हुआ।
  2. भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध: एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और इस जीत के उपलक्ष्य में दीपावली मनाई जाती है। यह विजय अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।
  3. माता लक्ष्मी की पूजा: दीपावली को धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी के आगमन का पर्व भी माना जाता है। इसी दिन माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं और उनके स्वागत के लिए लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
  4. विक्रम संवत की शुरुआत: दीपावली के दिन नए साल की शुरुआत मानी जाती है, विशेषकर व्यापारिक समुदायों में। इस दिन व्यापारी अपने नए बहीखाते (खाता-बही) खोलते हैं और अच्छे भाग्य के लिए लक्ष्मी पूजा करते हैं।

इस प्रकार दीपावली एकता, समृद्धि, और अच्छाई की जीत का प्रतीक बनकर मनाई जाती है।

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा कैसे करे

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। इस दिन भक्तगण विशेष रूप से घर की सफाई, सजावट और पूजा की तैयारी करते हैं। पूजा का समय, सामग्री और विधि सभी महत्वपूर्ण होते हैं। सही तरीके से पूजा करने से न केवल लक्ष्मी जी का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।

लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे पहले घर की सफाई करना आवश्यक है। माना जाता है कि माता लक्ष्मी उस घर में आती हैं, जो साफ-सुथरा और व्यवस्थित हो। घर के सभी कोनों की सफाई करें और इसे सजाने के लिए रंगोली बनाएं। आप रंग-बिरंगे फूलों, दीयों और लक्ष्मी जी की तस्वीरों से घर को सजाकर वातावरण को शुभ बना सकते हैं। पूजा स्थान पर एक सुंदर अल्ता या चटाई बिछाकर उस पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

पूजा सामग्री तैयार करें, जिसमें एक थाली, फल, मिठाइयाँ, फूल, दीपक, नारियल, चावल, पैसे, और लाल कपड़ा शामिल हों। पूजा के लिए गोबर से बने दीपक जलाएं और उन्हें घर के चारों ओर रखें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। थाली में लक्ष्मी जी के लिए मिठाई, फल, और चावल अर्पित करें। दीप जलाने के बाद देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें और मन में उनकी कृपा की प्रार्थना करें।

अब लक्ष्मी पूजा की विधि का पालन करें। सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें और उन्हें फूल अर्पित करें। फिर लक्ष्मी जी का ध्यान करते हुए उन्हें मिठाई, फल, और चावल अर्पित करें। “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही, लक्ष्मी जी से धन और समृद्धि की प्रार्थना करें। पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर अपनी इच्छाओं को प्रकट करें और शांति के लिए प्रार्थना करें।

पूजा के बाद, सभी भक्तगण प्रसाद बांटें और परिवार के साथ मिलकर एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं दें। इस दिन परिवार के सभी सदस्यों का एकत्रित होकर लक्ष्मी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस प्रकार, लक्ष्मी पूजा के माध्यम से न केवल देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि परिवार में एकता और प्रेम भी बढ़ता है। दिवाली के इस पर्व पर, यह पूजा हमें सुख, समृद्धि और खुशी का अनुभव कराती है।

दिवाली की पूजा विधि क्या है?

दिवाली की पूजा विधि विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा पर आधारित होती है। यह पूजा परिवार में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि के लिए की जाती है। यहां दिवाली की पूजा विधि का संक्षिप्त वर्णन किया गया है:

1. सफाई और सजावट

  • दिवाली से पहले घर की अच्छे से सफाई करें। मान्यता है कि माता लक्ष्मी स्वच्छता पसंद करती हैं और स्वच्छ घर में ही निवास करती हैं।
  • घर को दीपों, फूलों और रंगोली से सजाएं। मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाएं और द्वार पर शुभ प्रतीकों जैसे स्वस्तिक का चित्रण करें।

2. पूजा स्थल की तैयारी

  • पूजा के लिए घर के उत्तरी या पूर्वी दिशा में एक स्वच्छ स्थान का चयन करें। वहां एक चौकी (पटरा) रखें और उस पर एक साफ कपड़ा बिछाएं।
  • पटरे पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और सरस्वती की मूर्तियों या चित्रों को स्थापित करें। साथ ही एक कलश रखें जो समृद्धि और जीवन का प्रतीक है।
  • मूर्तियों को फूलों की माला और वस्त्र अर्पित करें। माँ लक्ष्मी को विशेष रूप से लाल वस्त्र और भगवान गणेश को पीले वस्त्र पहनाएं।

3. पूजन सामग्री

  • दीपक, धूप, अगरबत्ती, चावल, कुमकुम, हल्दी, फूल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, फल, खील-बताशे, सुपारी, लौंग, इलायची।
  • आवश्यक मुद्रा: पूजा के समय लक्ष्मी को धन (सिक्के, नोट) अर्पित किए जाते हैं।

4. गणेश पूजन

  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें स्नान कराकर साफ वस्त्र पहनाएं।
  • भगवान गणेश को हल्दी, कुमकुम, चावल अर्पित करें।
  • उन्हें फूल, मिठाई, फल और सुपारी अर्पित करें।
  • गणेश मंत्रों का उच्चारण करें और गणेश जी से घर की सुख-समृद्धि की कामना करें।

5. लक्ष्मी पूजन

  • माता लक्ष्मी को स्नान कराकर वस्त्र पहनाएं। उनके चरणों में चावल के ढेर के ऊपर चांदी या सोने के सिक्के रखें।
  • लक्ष्मी जी को कुमकुम, चावल, पुष्प अर्पित करें। फिर उन्हें मिठाई और फल अर्पित करें।
  • लक्ष्मी मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करते हुए उनकी पूजा करें।
  • लक्ष्मी चालीसा या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
  • पूजा के अंत में लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए कुबेर की भी पूजा करें।

6. आरती

  • लक्ष्मी और गणेश की सामूहिक आरती करें। आरती करते समय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहें।
  • आरती के बाद दीप जलाएं और सभी कमरों में दीपक रखें ताकि घर के सभी हिस्सों में प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा फैले।

7. नैवेद्य और प्रसाद

  • लक्ष्मी और गणेश जी को खील-बताशे, मिठाई और फलों का नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें। इसके बाद घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें।

8. दीपदान

  • पूजा के बाद घर के आंगन, छत और खिड़कियों में दीप जलाएं।
  • मुख्य दरवाजे पर दीपक रखें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।

9. पटाखे और उत्सव

  • पूजा के बाद दीपावली के उत्सव के रूप में पटाखे चलाएं। हालांकि, यह ध्यान रखें कि प्रदूषण को कम करने के लिए सुरक्षित और कम ध्वनि वाले पटाखों का प्रयोग करें।
  • परिवार और मित्रों के साथ मिठाइयाँ बांटें और दिवाली का उत्सव धूमधाम से मनाएं।

इस प्रकार दिवाली की पूजा विधि सम्पन्न होती है, जिससे माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

दिवाली की पूजा सामग्री क्या है?

दिवाली की पूजा सामग्री एक विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए आवश्यक होती है। यहाँ पर दिवाली पूजा के लिए सामान्यतः उपयोग की जाने वाली सामग्री की सूची दी गई है:

1. दीपक

  • मिट्टी के दीपक या तेल के दीपक, जिन्हें पूजा में जलाना होता है।

2. मोमबत्ती

  • सजावट के लिए और पूजा में प्रकाश के लिए मोमबत्तियाँ भी उपयोग की जा सकती हैं।

3. अगरबत्ती और धूप

  • पूजा के दौरान वातावरण को सुगंधित करने के लिए अगरबत्ती और धूप का उपयोग किया जाता है।

4. फूल

  • पूजा में अर्पित करने के लिए गेंदा, चमेली, कमल, और तुलसी के फूल।

5. पत्ते

  • तुलसी और अन्य पत्ते, जैसे पीपल या बेलपत्र।

6. पुजन थाली

  • पूजा की सभी सामग्री को रखने के लिए एक थाली, जिसे सजाया जा सकता है।

7. चंदन

  • चंदन का पाउडर या टुकड़े, जिसे पूजा में अर्पित किया जाता है।

8. सुघंधित तेल

  • नारियल तेल या अन्य सुगंधित तेल का उपयोग दीपक में किया जाता है।

9. मिठाइयाँ

  • पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ, जैसे लड्डू, बर्फी, या हलवा।

10. फल

  • पूजा में अर्पित करने के लिए फल, जैसे सेब, संतरा, केला, या अनार।

11. चावल

  • पूजा में अर्पित करने के लिए चावल, जिसे अक्षत कहते हैं। इसे देवी-देवताओं पर छिड़का जाता है।

12. धनिया और कुंकुम

  • देवी लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए धनिया और कुंकुम का उपयोग किया जाता है।

13. सिक्के और नोट

  • धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ सिक्के और नए नोट अर्पित किए जा सकते हैं।

14. पात्र और कलश

  • पूजा के लिए एक कलश में जल भरकर उसे देवी लक्ष्मी के सामने रखा जाता है। इसमें आम के पत्ते डालना शुभ होता है।

15. हवन सामग्री

  • अगर आप हवन करना चाहते हैं, तो हवन सामग्री जैसे गीली लकड़ी, घी, और हवन कुण्ड भी आवश्यक होते हैं।

16. पश्चिमी सामग्री

  • पूजा के बाद प्रसाद बांटने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बर्तन या थालियाँ।

17. दीप जलाने के लिए बत्ती

  • दीपक जलाने के लिए बत्तियाँ, जो रुई से बनी होती हैं।

18. रंगोली सामग्री

  • पूजा स्थल को सजाने के लिए रंगोली बनाने की सामग्री, जैसे रंगीन पाउडर, फूल की पंखुड़ियाँ आदि।

19. कुमकुम और बिंदी

  • पूजा में देवी को अर्पित करने के लिए कुमकुम और बिंदी का उपयोग किया जाता है।

इन सभी सामग्री का उचित उपयोग करके आप दिवाली की पूजा को भव्य और शुभ बना सकते हैं। दिवाली पूजा का यह पूरा सेट आपको सकारात्मकता, समृद्धि और सुख-शांति का अनुभव करने में मदद करेगा।

दीपावली के दिन क्या नहीं करें?

दीपावली का पर्व हर्षोल्लास और सुख-समृद्धि का प्रतीक है, लेकिन इस दिन कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए ताकि पर्व की पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। दीपावली के दिन निम्नलिखित कार्य वर्जित माने जाते हैं:

1. झगड़ा या विवाद

  • दीपावली के दिन घर में या परिवार के सदस्यों के बीच किसी भी प्रकार का झगड़ा या विवाद नहीं होना चाहिए। यह दिन शांति, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है, इसलिए नकारात्मक भावनाओं को त्यागना चाहिए।

2. गंदगी या अव्यवस्था

  • दीपावली के दिन घर में गंदगी रखना या सफाई न करना वर्जित माना जाता है। ऐसा मान्यता है कि माता लक्ष्मी स्वच्छ और सजीव घरों में ही वास करती हैं, इसलिए घर को साफ और व्यवस्थित रखना अत्यंत आवश्यक है।

3. दीपावली की पूजा के बाद सोना

  • इस दिन विशेष रूप से रात के समय माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। इसलिए पूजा के बाद सोना वर्जित होता है। रात को जागकर घर को रोशनी से सजाना और दीप जलाना शुभ माना जाता है।

4. नकारात्मक शब्दों का उपयोग

  • इस दिन किसी भी प्रकार के नकारात्मक शब्दों या अपशब्दों का उपयोग करना अशुभ माना जाता है। परिवार और समाज में सकारात्मक और मधुर शब्दों का प्रयोग करें।

5. असामाजिक कार्य

  • दीपावली के दिन किसी को हानि पहुंचाने वाले कार्य, जैसे धोखाधड़ी, चोरी, या किसी को नुकसान पहुंचाना, पूर्ण रूप से वर्जित माने जाते हैं। यह दिन अच्छाई और धर्म का प्रतीक है, इसलिए गलत कार्यों से बचें।

6. धन का अनादर

  • लक्ष्मी पूजा के दिन धन का अनादर, जैसे रुपये-पैसे को फेंकना, उन पर पैर रखना या उनका दुरुपयोग करना अशुभ माना जाता है। इस दिन धन की पूजा होती है, इसलिए इसका सम्मान किया जाना चाहिए।

7. काले वस्त्र पहनना

  • दीपावली के दिन काले वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है क्योंकि यह दिन प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक है। रंग-बिरंगे, साफ-सुथरे और उजले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

8. देर से उठना

  • दीपावली के दिन देर से उठना और आलस करना वर्जित माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई और पूजा की तैयारी करना शुभ होता है।

9. जलाने वाले पटाखों का अधिक उपयोग

  • पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से, अधिक ध्वनि वाले और प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का उपयोग वर्जित होना चाहिए। कम आवाज़ वाले और सुरक्षित पटाखों का चयन करें, ताकि पर्व का आनंद लिया जा सके बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए।

10. तेल के दीपक बुझाना

  • दिवाली की रात जलाए गए दीपक को स्वयं बुझाना वर्जित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि दीपक को जलाए रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

11. लोन या उधार लेना

  • दिवाली के दिन उधार लेना या देना वर्जित माना जाता है, क्योंकि इसे आर्थिक परेशानियों का संकेत माना जाता है। ऐसा करने से धन की कमी हो सकती है, इसलिए इस दिन किसी से कर्ज न लें और न ही दें।

12. नशा और गलत आदतें

  • दिवाली के शुभ अवसर पर शराब, तम्बाकू या अन्य नशे का सेवन वर्जित है। यह दिन पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक है, इसलिए ऐसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए।

इन वर्जित कार्यों से बचकर दिवाली का पर्व शुद्ध और शुभ तरीके से मनाया जाता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।

दिवाली के दिन क्या-क्या खरीदें?

दिवाली के दिन कुछ विशेष वस्तुओं की खरीदारी को शुभ और लाभकारी माना जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि जीवन में समृद्धि और सौभाग्य लाने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। आइए जानें कि दिवाली के दिन किन चीजों की खरीदारी करनी चाहिए:

1. धनतेरस पर धातु की वस्तुएं

  • सोना और चांदी: दिवाली से पहले धनतेरस के दिन सोने या चांदी के आभूषण, सिक्के या धातु के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इसे घर में समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
  • धातु के बर्तन: स्टील, तांबे या पीतल के बर्तन खरीदने का रिवाज है। मान्यता है कि इस दिन धातु खरीदने से घर में बरकत होती है।

2. माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र

  • दिवाली के दिन घर में लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्तियाँ या चित्र स्थापित करना शुभ होता है। इसे घर में धन और सुख-समृद्धि का प्रवेश माना जाता है। ध्यान रखें कि मूर्तियाँ साफ-सुथरी और सौम्य हों।

3. झाड़ू

  • दिवाली से पहले घर की सफाई के लिए नई झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है। यह प्रतीकात्मक है कि घर से सभी नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता को बाहर किया जा रहा है। झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।

4. इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

  • इस दिन नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन या मोबाइल फोन खरीदना भी शुभ माना जाता है। यह परिवार की सुख-सुविधा में वृद्धि का प्रतीक होता है।

5. प्रॉपर्टी या वाहन

  • दिवाली का दिन नया घर, ज़मीन या वाहन खरीदने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर आप इस दिन कोई नया वाहन या प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो यह आपके जीवन में समृद्धि और स्थायित्व लेकर आता है।

6. धन-संपत्ति की वस्तुएं

  • धनतेरस और दिवाली के दिन कोई भी वित्तीय निवेश करना जैसे शेयर मार्केट, सोने या संपत्ति में निवेश शुभ माना जाता है।
  • आप इस दिन चांदी के सिक्के, लक्ष्मी-गणेश की प्रतीकात्मक वस्तुएं, या कोई अन्य मूल्यवान वस्त्र या आभूषण भी खरीद सकते हैं।

7. मिट्टी के दीपक

  • दिवाली के दिन मिट्टी के दीपक खरीदकर अपने घर में जलाना शुभ माना जाता है। यह प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। आप विशेष रूप से हाथ से बने, पर्यावरण के अनुकूल दीपक चुन सकते हैं।

8. फर्नीचर

  • इस दिन नए फर्नीचर खरीदना भी शुभ माना जाता है। यदि आप अपने घर के लिए कोई नई वस्त्र सामग्री या फर्नीचर लाना चाहते हैं, तो दिवाली का समय उपयुक्त होता है।

9. वस्त्र

  • दिवाली के दिन नए वस्त्र खरीदना भी शुभ माना जाता है। विशेष रूप से उजले और चमकीले वस्त्र, जो समृद्धि और खुशी का प्रतीक होते हैं। इसे परिवार के सभी सदस्यों के लिए खरीदा जा सकता है।

10. खील-बताशे और मिठाइयाँ

  • दिवाली पूजा के लिए खील-बताशे, मिठाइयाँ और सूखे मेवे खरीदना जरूरी होता है। यह पूजा में देवी लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं और प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं।

11. सजावट के सामान

  • घर को सजाने के लिए फूलों की माला, बंदनवार, रंगोली सामग्री, और अन्य सजावटी सामान खरीदें। इससे घर में उत्सव की सकारात्मकता और आनंद का माहौल बनता है।

12. फटाके (सुरक्षित और कम ध्वनि वाले)

  • दीपावली के उत्सव में फटाके जलाने की परंपरा है। हालांकि, यह ध्यान रखें कि सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल फटाके ही खरीदें, ताकि प्रदूषण न हो और सभी सुरक्षित रहें।

13. धूप-अगरबत्ती और पूजा सामग्री

  • दिवाली के दिन पूजा में धूप, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, फूल, और अन्य पूजा सामग्री की खरीदारी करनी चाहिए। ये पूजन में आवश्यक होते हैं और इससे देवी-देवताओं को प्रसन्न करने में मदद मिलती है।

14. कुबेर की मूर्ति

  • कुछ लोग दिवाली के दिन कुबेर देवता की मूर्ति या चित्र भी खरीदते हैं, जिन्हें धन के देवता माना जाता है। इसे लक्ष्मी पूजन में स्थापित करना घर में धन की वृद्धि का संकेत माना जाता है।

दिवाली के दिन इन वस्तुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है, क्योंकि ये समृद्धि, सुख-शांति, और सौभाग्य को घर में आमंत्रित करने का प्रतीक होती हैं।

Eco-friendly दिवाली कैसे मनाएं?

Eco-friendly दिवाली मनाना न केवल पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे आसपास की प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति भी संवेदनशीलता को दर्शाता है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जिनसे आप एक ईको-फ्रेंडली दिवाली मना सकते हैं:

1. दीपों का उपयोग

  • मिट्टी के दीपक: प्लास्टिक और रासायनिक दीपकों के बजाय मिट्टी के दीपक का उपयोग करें। यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं और biodegradable होते हैं।
  • फूलों के दीपक: आप प्राकृतिक फूलों का उपयोग करके भी दीपक बना सकते हैं। ये न केवल सुंदर होते हैं बल्कि वातावरण को भी शुद्ध करते हैं।

2. सजावट

  • प्राकृतिक सामग्री: सजावट के लिए प्लास्टिक की जगह प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें, जैसे कि सूखे फूल, पत्ते, और रंगीन कागज।
  • पुनर्चक्रित सामग्री: पुरानी वस्तुओं, कागज, और बर्तन से सजावट करें। जैसे कि पुरानी अखबारों से रंगीन दीवार की सजावट करना।

3. पटाखों का सीमित उपयोग

  • कम ध्वनि वाले और सुरक्षित पटाखे: यदि आप पटाखे जलाना चाहते हैं, तो कम ध्वनि वाले और सुरक्षित पटाखों का चयन करें। या फिर, पूरी तरह से पटाखों का उपयोग न करें और एक शांत दिवाली मनाएं।
  • पारंपरिक तरीकों से उत्सव: इसके बजाय, घर के आंगन में परिवार के साथ दीप जलाना और मिठाइयाँ बांटना एक बेहतर विकल्प है।

4. सस्टेनेबल उपहार

  • हाथ से बने उपहार: बाजार से खरीदे गए सामानों के बजाय हाथ से बने उपहार दें। ये व्यक्तिगत और अनूठे होते हैं।
  • पौधे उपहार में दें: उपहार के रूप में पौधे देना न केवल एक अच्छा विचार है, बल्कि यह पर्यावरण की सुरक्षा में भी मदद करता है।

5. स्वस्थ मिठाइयाँ

  • घर पर मिठाइयाँ बनाएं: बाज़ार में बिकने वाली रसायनिक मिठाइयों के बजाय घर पर ताजगी से तैयार की गई मिठाइयाँ बनाएं।
  • स्वास्थ्यवर्धक सामग्री: चीनी और मिठास की मात्रा कम करें और प्राकृतिक मिठास जैसे खजूर या गुड़ का उपयोग करें।

6. श्री लक्ष्मी की पूजा

  • पौधों के साथ पूजा: पूजा में तुलसी, गेंदा और अन्य पौधों का उपयोग करें। ये प्राकृतिक होते हैं और पूजा में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।
  • जल का सही उपयोग: पूजा में जल का उपयोग सोच-समझकर करें। बेकार में जल बर्बाद न करें।

7. सफाई का ध्यान रखें

  • पर्यावरण के अनुकूल सफाई उत्पाद: दिवाली के बाद सफाई के लिए प्राकृतिक और जैविक सफाई उत्पादों का उपयोग करें। इससे आप रासायनिक प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
  • सफाई के बाद कचरा प्रबंधन: कचरे को उचित तरीके से निपटाएं। प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं को अलग करें और रीसाइक्लिंग के लिए दें।

8. समुदाय में सहभागिता

  • समुदाय के साथ मिलकर कार्य: अपने समुदाय के साथ मिलकर एक ईको-फ्रेंडली दिवाली मनाने का आयोजन करें। इसके लिए एक समूह बनाएं जो सभी को जागरूक करे और एक-दूसरे को प्रेरित करे।

9. वातावरण पर ध्यान

  • पारिस्थितिकी के प्रति जागरूकता: दिवाली पर पेड़ लगाना एक बहुत अच्छा विचार है। इससे पर्यावरण को संरक्षण मिलता है और यह हरित क्षेत्र का विस्तार करता है।
  • पारिस्थितिकी संरक्षण: स्थानीय जीव-जंतुओं और पक्षियों के लिए पानी और भोजन उपलब्ध कराएं।

10. समय बिताएं

  • परिवार और मित्रों के साथ समय बिताएं: एक ईको-फ्रेंडली दिवाली का अर्थ है कि आप परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशी मनाएं। इससे न केवल आपसी संबंध मजबूत होते हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति भी आपकी जागरूकता बढ़ती है।

इन उपायों को अपनाकर आप एक सुखद और ईको-फ्रेंडली दिवाली मना सकते हैं, जो न केवल आपके लिए बल्कि पृथ्वी के लिए भी लाभकारी होगी। इससे आप दिवाली का वास्तविक आनंद उठा सकेंगे, जबकि पर्यावरण की रक्षा भी करेंगे।

दिवाली पर कौन से कपड़े पहनें?

दिवाली एक ऐसा त्योहार है जिसे खुशी और समृद्धि के साथ मनाने के लिए विशेष कपड़े पहनने की परंपरा है। इस अवसर पर कपड़ों का चयन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आप उत्सव के माहौल में पूरी तरह से रंगीन और खास महसूस करें। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं कि दिवाली पर कौन से कपड़े पहनें:

1. सTraditional भारतीय परिधान

  • साड़ी: महिलाओं के लिए साड़ी एक उत्कृष्ट विकल्प है। खासकर बनारसी, कांचीवाड़ा या चंदेरी साड़ी दिवाली पर बेहद पसंद की जाती हैं।
  • कुर्ता-पायजामा: पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा एक पारंपरिक और आरामदायक विकल्प है। आप इसे विभिन्न रंगों और कढ़ाई के साथ चुन सकते हैं।

2. फैशनेबल एथनिक आउटफिट

  • अनारकली सूट: यह एक बहुत ही सुंदर और ट्रेंडी विकल्प है। इसे विभिन्न रंगों और डिजाइनों में पहना जा सकता है।
  • सलवार-कुर्ता: यह भी एक अच्छा विकल्प है, खासकर अगर आप आरामदायक और स्टाइलिश दिखना चाहते हैं।

3. ग्लैमरस वियर

  • लेहेंगा: यदि आप खास मौके पर अधिक ग्लैमरस दिखना चाहती हैं, तो लेहेंगा एक बेहतरीन विकल्प है। इसे शादी या बड़े समारोहों के लिए भी पहना जा सकता है।
  • शेरवानी: पुरुषों के लिए शेरवानी एक शानदार विकल्प है, जो खास अवसरों पर पहना जाता है। यह विशेष रूप से दिवाली जैसे त्योहारों पर शानदार दिखता है।

4. कलर थीम

  • उज्ज्वल रंग: दिवाली पर हल्का पीला, नारंगी, गुलाबी, या लाल जैसे उज्ज्वल रंग पहनना शुभ माना जाता है।
  • धातु के रंग: सुनहरा, चांदी या ब्रॉन्ज रंग भी दिवाली के लिए बहुत उपयुक्त हैं। ये रंग रोशनी और समृद्धि का प्रतीक होते हैं।

5. आभूषण

  • परंपरागत आभूषण: कपड़ों के साथ मेल खाते हुए पारंपरिक आभूषण पहनें। जैसे कड़ा, झुमके, और हार, जो आपकी सुंदरता को बढ़ाएंगे।
  • फैशनेबल आभूषण: यदि आप कुछ अलग और मॉडर्न पहनना चाहती हैं, तो फैशनेबल आभूषण का चयन करें।

6. आरामदायक कपड़े

  • कोज़ी फैब्रिक: यदि आप घर पर दिवाली मना रहे हैं, तो आरामदायक और हल्के कपड़े पहनें। जैसे कुर्ता या कैजुअल ड्रेस।
  • फैब्रिक का ध्यान: कपड़ा हल्का और आरामदायक होना चाहिए, ताकि आप बिना किसी परेशानी के त्योहार का आनंद ले सकें।

इन सुझावों का पालन करके आप दिवाली पर एक शानदार और पारंपरिक लुक प्राप्त कर सकते हैं। दिवाली के इस खास अवसर पर अपने कपड़ों के माध्यम से खुशियों और उत्साह का इजहार करें!

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