Beauty Shayari in Hindi: नमस्ते दोस्तों आज कि इस पोस्ट में हम आपके लिए लाए है Beauty Shayari in Hindi मुझे उम्मीद है, आपको ब्यूटीफुल गर्ल पोस्ट के लिए यह ब्यूटी शायरी पसंद आएगी। अपने चाहने वालों को ब्यूटी शायरी हिंदी में भेजें
खूबसूरती बिखेर देने वालो को. क्या जरुरत है सवरने की वो तो खुद कयामत है उसे क्या जरुरत है तारीफ की.
रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है।
चेहरे का कुछ हिस्सा ज़ाहिर-ए-नक़ाब करके,
करते हैं हुस्न वाले दीदार में मिलावट।
अर्ज किया है सुंदरता की तुम मुहूर्त हो
मेरे दिल में बसी तेरी प्यारी सी सूरत हो..!
अभी इस तरफ़ न निगाह कर
मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना
तुझे आईने में उतार लूँ
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है, तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है, खूबसूरती की इंतेहा है तू… तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।
होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
हुस्न वालों को संवरने की ज़रूरत क्या है, वो तो सादगी में भी कयामत की अदा रखते है।
Beauty Shayari in Hindi
किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं,
वो रंग है ही नहीं जो तेरे बदन में नहीं।
मुझे किस्मत से कोई सिकवा नहीं लेकिन ए मेरे खुदा वो
मेरी ज़िन्दगी में आया ही क्यों जो मेरी किस्मत में नहीं था !
तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा।
इन आँखों को जब जब उनका दीदार हो जाता है दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है
अभी इस तरफ़ न निगाह कर
मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना
तुझे आईने में उतार लूँ।
तुझको देखा… तो फिर… उसको ना देखा, चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
सारी दुनिया का हुस्न देखा है,
अब भी तुम लाजवाब लगते हो।
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कुछ अपना अंदाज हैं
कुछ मौसम रंगीन हैं
तारीफ करूँ या चुप रहूँ
जुर्म दोनो ही संगीन हैं !
खूबसूरती ना ही सूरत में होती है
और ना ही लिबास में,
ये तो महज़ जालिम नजरों का खेल है,
जिसे चाहे उसे हसीन बना दें।
कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं, तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो ही संगीन हैं।
उसके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत,
मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिक़ी से पहले।
उनकी बातों का अजी क्या कहिये, अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
सवाल था कि उनका हुस्न क्या है,
जवाब था कि जवाब ही नहीं।
हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का
कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो !
दिल तो उनके सीने में भी मचलता होगा,
हुस्न भी सौ सौ रंग बदलता होगा,
उठती होंगी जब भी निगाहें उनकी,
खुदा भी गिर गिर के संभलता होगा।
रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए, तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है
कसा हुआ तीर हुस्न का, ज़रा संभल के रहियेगा,
नजर नजर को मारेगी, तो क़ातिल हमें ना कहियेगा।
उनके चेहरे की चमक इतनी है कि हर किसी की सूरत उनके सामने फीकी है।
ढाया है खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर,
तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क़ देकर।
हमारी शाम चाहत से सजी मालूम होती है
मेरी अब रूह राहो में बिछी मालूम होती है !
कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने, उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।
अपनी हसीन सूरत को पर्दे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख़ लोग है नज़रों से चूम लिया करते है।
मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ
इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।
वो मुझसे रोज़ कहती
थी मुझे तुम चाँद ला
कर दो उसे एक आईना
दे कर अकेला छोड़ आया हूँ !
और भी इस जहां में आएंगे आशिक कितने,
उनकी आंखों को तुमको देखने की हसरत रहे।
हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का, कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो।
ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है।
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जो देखता हूँ उन्हें आंख भरकर, सारी दुनिया ही खूबसूरत नजर आती हैं
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर, ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है,
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
बहुत याद आता है वो ख्वाब
जिसमे तुम सिर्फ मेरे थे !
इस जहां में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे,
सदियों तक इस जमीं पे तेरी कयामत रहे।
आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए, सिर्फ उसकी एक नजर से ही घायल हो गए।
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,
फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
ये आंखे नही तुम्हारी 2 धारी तलवार है, जो भी रुकता है इन पर मर के ही निकलता है।
हैं होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है।
तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी
मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी !
तुझको देखा… तो फिर… उसको ना देखा,
चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
कितनी मासूमियत है उनके चेहरे पर, सामने से ज्यादा उन्हें छुपकर देखना अच्छा लगता है।
तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,
ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये।
सुकून की तलाश में तुम्हारी आँखों में झाँका था हमने, किसे पता था कम्बखत दिल का दर्द और बढ़ जाएगा।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें
तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो
कितने लाजवाब हो तुम।
आज उसकी मासूमियतके कायल हो गए
सिर्फ उसकी एक नजर से ही घायल हो गए !
इस जहां में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे,
सदियों तक इस जमीं पे तेरी कयामत रहे।
तू जरा सी कम खूबसूरत होती तो भी बहुत खूबसूरत होती
चाल मस्त, नजर मस्त, अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को।
चेहरा हसीन गुलाबों सा मिलता-जुलता है, नशा पीने से ज़्यादा तुमको देखने से चढ़ता है।
उनके हुस्न का आलम न पूछिये,
बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर।
मुझसे जब भी मिलो नजरें उठाकर
मिलो मुझे पसंद है तुम्हारी आँखों में देखना !
तुझको देखा… तो फिर… उसको ना देखा,
चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
वह मुझसे रोज कहती थी मुझे तुम चांद ला कर दो उसे एक आईना देकर अकेला छोड़ आया हूं
ये कह सितमगर ने ज़ुल्फ़ों को झटका,
बहुत दिन से दुनिया परेशाँ नहीं है।
तू ज़रा सी कम खूबसूरत होती, तो भी बहुत खूबसूरत होती।
न देखना कभी आईना भूल कर देखो
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा।
मुस्कुराए दिल खिलाए आप जैसा कौन है
दोस्ती ऐसे निभाए आप जैसा कौन है !
आजा तुझे आसमान में ले चलूँ,
चाँद को उसकी औकात दिखाने।
हुस्न का क्या काम सच्ची मोहब्बत में रंग सांवला भी हो तो यार कातिल लगता है इन आँखों को जब-जब उनके चेहरे का दीदार हो जाता है, दिन कोई भी हो मेरा त्योहार हो जाता है।
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
एक मौसम था तेरी बाहो का मंजर था
आज ये मौसम हे मेरी आंखे भी बंजर हे !
जो कागज पर लिख दूँ यूँ तारीफ तुम्हारी,
तो स्याही भी तेरे हुस्न की गुलाम हो जाये।
मुझे मालूम नहीं हुस्न की तारीफ मेरी नज़रों में हसीं वो है जो तुम जैसे हो ना जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर, तुझे सामने से ज़्यादा छुपकर देखना अच्छा लगता है।
मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो,
हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये।
उनके हुस्न का आलम न पूछिये बस
तस्वीर हो गया हूँ तस्वीर देखकर !
यूँ तो पलट के देखना मेरी आदत नहीं है,
जब तुम्हे देखा तो लगा एक बार और देख लूँ।
क्या लिखूं तेरी तारीफ ऐ-सूरत में यार अल्फाज कम पड़ रहे है तेरी मासूमियत देखकर
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले,
तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर।
कितना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा ये
दिल तो बस दीवाना है तुम्हारा !
कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं,
उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
जो कागज पर लिख दू तारीफ तुम्हारी तो श्याही भी तेरे हुस्न की गुलाम हो जाये
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,
आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले,
तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर।
हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं !
निगाह-यार पे पलकों की लगाम न हो,
बदन में दूर तलक ज़िन्दगी का नाम न हो,
वो बेनकाब फिरती है गली कूचों में,
तो कैसे शहर के लोगो में कतले आम न हो।
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर तेरे सामने आने से ज्यादा, तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,
आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला !
तुम हशीन हो के गुलाब जैसी हो,
बहुत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो,
होठों से लगाकर पी जाऊं तुम्हे,
सर से पाँव तक शराब जैसी हो।
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखू पानी भी जो देखे तुझे तो, प्यासा हो जाये
मुझको ये आरज़ू वो उठाएं नक़ाब खुद,
उन को ये इंतज़ार तकाजा करे कोई।
न देखना कभी आईना भूल कर देखो
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा !
आपके दीदार को निकल आये हैं तारे,
आपकी खुसबू से छा गयी हैं बहारें,
आपके साथ दिखते हैं कुछ ऐसे नज़ारे,
कि छुप-छुप के चाँद भी आप ही को निहारे।
उनकी एक मुस्कराहट ने हमारे होश उड़ा दिए हम होश में आ ही रहे थे की वो फिर मुस्कुरा दिए
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,
फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं !
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है !
उस हुस्न-ए-बेमिसाल को देखा न आज तक,
जिस के तसुव्वरात ने जीना सिखा दिया।
होश-ए-हालात पे काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले
तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर !
कमसिनी का हुस्न था वो… ये जवानी की बहार,
पहले भी तिल था रुख पर मगर क़ातिल न था।
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता !
सरक गया जब उसके रुख से पर्दा अचानक,
फ़रिश्ते भी कहने लगे काश हम इंसान होते
तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है,
तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं बेचैन रहूँ।
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है !
अच्छे लगे तुम सो हमने बता दिया,
नुकसान ये हुआ कि तुम मगरूर हो गए।
मस्त नज़रों से देख लेना था अगर तमन्ना थी आज़माने की, हम तो बेहोश यूँ ही हो जाते क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की?।
हुस्न की ये इन्तेहाँ नहीं है तो और क्या है,
चाँद को देखा है हथेली पे आफताब लिए हुए।
क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कारा देना,
हसीनो को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।
ख़ुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में, बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया।
इस डर से कभी गौर से देखा
नहीं तुझको कहते हैं कि लग
जाती है अपनों की नज़र भी !
उम्र गुज़र गई पर कोई तुम सा नहीं मिला,
लोग यूँ ही कहते हैं कि खोजने से खुदा भी मिलता है।
हवाओं को चूमती जुल्फों को मत बांधा करो तुम, ये मदमस्त हवाएं नाराज़ होती हैं।
कुछ मौसम रंगीन है कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
सुर्ख आँखो से जब वो देखते है
हम घबराकर आँखे झुका लेते है !
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर,
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
कहाँ तक लिखूं एक ताज़ा शायरी आपके लिए,
आपके हुस्न में तो रोज एक नयी बात हुआ करती है।
तेरी तारीफ में कुछ लब्ज कम पड़ गए शायद? वरना हम भी किसी ग़ालिब से कम ना थे।
उनके चेहरे की चमक इतनी है कि हर
किसी की सूरत उनके सामने फीकी है !
“जब आप ‘आप’ होते हो ना, तब आप सबसे ज्यादा खूबसूरत होते हो।”
बड़ी खूबसूरत नाज़ुक से हैं उनके ये होठ की क्या कहिये, मानो पंखुड़ी हो इक गुलाब सी।
उनकी बातों का अजी क्या कहिये अल्फ़ाज़
फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं !
“हमारा शहर बहुत खूबसूरत है, यहाँ बस बेवफा रहते है।”
आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
एक डॉक्टर द्वारा लिखी बेहतरीन लाइन दवा में
कोई खुशी नहीं और खुशी जैसी कोई दवा नही !
“खूबसूरत हो, मगरूर ना हो। क्या बात करते हो साहब, दुनिया हो कायामत ना हो।”
आइने में क्या चीज़ अभी देख रहे थे, फिर कहते हो खुदा की कुदरत नहीं देखी।
अच्छे लगे तुम सो हमने बता दिया, नुकसान ये हुआ कि तुम मगरूर हो गए।
धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल, अभी तो पलकें झुकाई हैं दांतो तले होठों को दबा कर मुस्कुराना अभी बाकी है।
“वो दुनिया के लिए खूबसूरत नहीं है, इसलिए मुझे ज्यादा खूबसूरत लगती है।”
“आपकी खूबसूरत मुस्कान बता रही है, की आपके घाव कितने गहरे होंगे।”
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ, आपको देखा और छुआ तो ख्वाहिशे पूरी हुयी।
“रिश्तों में खूबसूरती तब बढ़ती है, जब रिश्तों की इज़्ज़त हो।”
स्वर्ग से उतारी परियां भी इतनी ना सुन्दर होगी जितना तुम हो।
“तुम मेरे साथ हो इससे ज्यादा खूबसूरत बात क्या हो सकती है दुनिया में।”
“खूबसूरत इंसान की पहचान ये है की उन्हें सब खूबसूरत लगते है। “
उनके हुस्न का आलम न पूछिये, बस तस्वीर हो गया हूँ, उनकी तस्वीर देखकर।
“बड़ा ही खूबसूरत मंज़र होता है, जब आपके मां बाप आप पर गर्व करते है।”
लौट जाती है उधर को भी नजर क्या कीजे, अब भी दिलकश है तेरा हुस्न तो क्या कीजे?।
“वक्त की अहमियत हम से पूछो, जो हर वक़्त हम तुम्हारे बारे में सोचते रहते है।”
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का, कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो?।
बिजलियों ने सीख ली उनके तबस्सुम की अदा, रंग ज़ुल्फ़ों की चुरा लाई घटा बरसात की।
लगता हैं खुदा ने एक ही हसीं चेहरा बनाया हैं, और वो मेरे सामने हैं।
“खूबसूरत हर इंसान है, बस अपने-अपने नज़रिये की बात होती है।”
“दिल की खूबसूरती अक्सर चेहरे की खूबसूरती को फीकी कर देती है।”
नहीं पसंद आता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा, तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।
इन आँखों को जब-जब तेरा दीदार हो जाता है, दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए वो खास हो जाता है।
ये रूठना अच्छा लगता है बार बार मुझे तुमसे, मनाने मे मुझ पे तेरा प्यार बरस जाता हैं।
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