Amar Jawan Jyoti Flame Shifting Wrong or Right | अमर जवान ज्योति 2022 | Full Information

Amar Jawan Jyoti Flame | अमर जवान ज्योति को लेकर क्यों गरमाई है राजनीती जानिये विस्तार से

Amar Jawan Jyoti: पिछले 50 साल से राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति का नेशनल वॉर मेमोरियल स्थित अमर जवान ज्योति में विलय कर दिया गया है. सरकार के इस फैसले के बाद से ही राजनीति शुरू हो गई है.

अमर जवान ज्योति विवाद क्या है?

विपक्षी दलों का कहना है की अमर जवान ज्योति स्मारक की लौ को बुझाना उन सैनिकों का अपमान है जिन्होंने देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.

इसलिए आज हम आपको अमर जवान ज्योति के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं और साथ ही बताने जा रहे है की अमर जवान ज्योति की जगह में परिवर्तन करना सही है या गलत?

लेकिन यहाँ पर आप भी अपने विचार मुझे जरूर बताये की अमर जवान ज्योति की जगह में परिवर्तन करना सही है या गलत ?

अमर जवान ज्योति को इन्डिया गेट पर से क्यों हटाया गया है?

सरकारी सूत्रों का कहना है की अमर ज्योति की लौ को बुझाया नहीं गया है, बल्कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अन्य अमर ज्योति के साथ विलय किया गया है. सूत्रों ने कहा कि इंडिया गेट पर 1971 के युद्ध में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई है, लेकिन उनके नाम का उल्लेख नहीं किया. जबकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में 1971 और इसके पहले और बाद के युद्धों के शहीदों के नाम लिखे गए हैं. इसलिए वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि है.

इसी के साथ प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह भी घोषणा की है की इंडिया गेट के बगल में बने छत्र में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगेगी जिसकी ऊँचाई 28 फीट चौड़ाई 6 फीट रहेगी |

इस मूर्ति का अनावरण pm मोदी नेताजी के जन्म दिवस के अवसर अपर करेंगे |

अमर जवान ज्योति के मुख्य बिन्दु

अमर जवान ज्योति (अमर सैनिक की लौ) 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भारतीय सशस्त्र बलों के शहीद और अज्ञात सैनिकों की याद में बनाया गया एक भारतीय स्मारक है, जो युद्ध के दौरान मारे गए थे। 

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत के 3843 सैनिक शहीद हुए थे उन शहीदों की याद में 1972 अमर जवान ज्योति को बनाया गया |

नयी दिल्ली में राजपथ पर इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति स्मारक बनाया गया है।

इस स्मारक पर संगमरमर का चबूतरा बना हुआ है, जिस पर स्वर्ण (सोने के अक्षर) अक्षरों में “अमर जवान” लिखा हुआ है और स्मारक के शीर्ष पर L1A1 ऑटो-लोडिंग आटोमेटिक राइफल भी लगी हुई है, जिसके बैरल पर किसी अनजान फौजी का हेलमेट लटका हुआ है।

अमर जवान ज्योति स्मारक के चबूतरे के चारो कोनो पर चार कलश है जिनके ऊपर बर्नर लगे है जिनमे हर समय अमर ज्योति जलती रहती है|

सामान्य दिनों में चार में से सिर्फ एक अमर ज्योति जलती है जबकि राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे गणतन्त्र दिवस अथवा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर चारों अमर ज्योतियों को जलाया जाता है|

26 जनवरी, 1972 को (23वाँ भारतीय गणतंत्र दिवस) इंदिरा गाँधी ने अधिकारिक रूप से इस स्मारक का उद्घाटन किया था।

नेशनल वॉर मेमोरियल क्या है?

नेशनल वॉर मेमोरियल( राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ) इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर स्थित है|

25 फरवरी, 2019 को शाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक स्मारक का उद्घाटन किया था।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के मुख्य वास्तुकार योगेश चंद्रहासन हैं जिन्होंने परियोजना को डिजाइन किया था।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक लगभग 40 एकड़ के क्षेत्र में बना हुआ है.

इसे उन सभी सैनिकों को याद करने के लिए बनाया गया था जिन्होंने स्वतंत्र भारत की विभिन्न लड़ाइयों, युद्धों, अभियानों और संघर्षों में शहीद हुए थे|

नेशनल वॉर मेमोरियल की दीवारों पर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। जिन्होंने 1947-48, 1962 (भारत-चीन युद्ध), 1965, 1971 (भारत-पाकिस्तान युद्ध), 1999 (कारगिल युद्ध) आदि के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी थी। 

ऐसे सैनिकों के लिए कई स्वतंत्र स्मारक हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उन सभी की स्मृति में कोई स्मारक मौजूद नहीं है इसलिए प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नेशनल वॉर मेमोरियल की स्थापना की नीवं राखी गई|

नेशनल वॉर मेमोरियल पर 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को बनाने में 176 करोड़ रुपये खर्च हुए है |

छह भुजाओं के आकार निर्मित इस मेमोरियल के केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ बनाया गया है।

इस स्तम्भ के ऊपर 112 किलो कांसे से बना अशोक स्तम्भ लगा है |

स्मारक में शहीदों के नाम के अलावा 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्तियां भी बनाई गई हैं।

इस स्मारक में हर शाम सैन्य बैंड के साथ शहीदों को सलामी दी जाती है।

नेशनल वॉर मेमोरियल पर्यटकों के लिए नि:शुल्क है यहाँ पर भ्रमण करने का कोई फीस नहीं लिया जाता है |

हर सप्ताह रविवार को चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी होती है जिसे देखना बहुत रोमांचक होता है |

स्मारक चार चक्रों पर केंद्रित है- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है। शहीदों के नाम दीवार की ईंटों में अंकित किए गए हैं।

नेशनल वॉर मेमोरियल में बने चक्रों का अर्थ

नैशनल वॉर मेमोरियल में चार चक्र बनाए गए हैं। 

  • अमर चक्र – इसमें अमर ज्योति जलेगी। यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है साथ ही एक आश्वासन कि राष्ट्र अपने सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाएगा।
  • वीरता चक्र – इसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा लड़ी गई छह अहम लड़ाइयों को बताया गया है।
  • त्याग चक्र – जिसमें 25700 सैनिकों के नाम हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। ये नाम 1.5 मीटर की दीवार पर लिखे हैं।
  • सुरक्षा चक्र – इसमें 695 पेड़ हैं जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।

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